मातृ दिवस के उपलक्ष्य में माँ के गौरव में अनेक शब्द कहे गए।उसे नमन किया गया, सलाम भेजा गया और ईश्वर का फरिश्ता माना गया , पर एक माँ का अपने बेटे की जुदाई में क्या हाल होता है,उसका दिल कैसे रोता है ,यह चित्रण मैने निम्न पंक्तियों में करने का यत्न किया है-----
एक स्वपन आँख में आया था
मैने कोख में उसे छुपाया था
पर कुछ दिन भी न छिप पाया
झट गोद में आकर मुस्काया
हंसी खेल में गोद से भी खिसका
मेरा आँचल थाम ज़रा ठिठका
फिर आँचल तक सिर से फिसला
जब घर से बाहर वो निकला
थी चाह कि वो उड़ना सीखे
जब उड़ा तो क्यों नैना भीगे
उसके जाने पर घर मेरा
क्यों लगता भुतहा सा डेरा
घर में बिखरी उसकी चीज़ें
पैन्ट पुराने कसी कमीज़े
टूटे खिलौने बदरंग ताश
बने धरोहर मेरे पास
मुस्काती उसकी तस्वीरें
जब तब मुझे रूलाती है
उसकी यादें आँसू बन कर
मेरे आँचल में छुप जाती है
फोन की घन्टी बन किलकारी
मन में हूक उठाती है
पल दो पल उससे बातें कर
ममता राहत पाती है
केक चाकलेट देख कर पर
पानी आँखों में आता है
जाने क्योंकर मन भाता
पकवान न अब पक पाता है
भरा भगौना दूध का दिन भर
ज्यों का त्यों रह जाता है
दिनचर्या का खालीपन
हर पल मुझे सताता है
कब आएगा मुन्ना मेरा ?
कब चहकेगा आँगन ?
कब नज़रो की चमक बढ़ेगी ?
दूर होगा धुँधलापन ????
Saturday, May 13, 2006
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10 comments:
माँ का दर्द बड़ी अच्छी तरह बयान किया ।बधाई!
बहुत सुंदर भाव-चित्रण है।
रत्ना जी,
ये तो माँ के मनोभाव है अब माँ के नहीं रहने पर उसकी सन्तान के भाव देखिये, जो मैने सुरत शहर में विज्ञापन पट्ट पर पढे़ थे, सामान्य गुजराती में है आशा है आप समझ जायेंगी।
" माँ ज्यारे आँसू आवता ने तू याद आवती हती, आजे तू याद आवे छे ने आँसू आवे छे।"
beautiful
बहुत सुंदर लिखा आपने !
घर से पहली बार निकलने पर एक बेटा क्या सोचता है अपनी ममतामयी माँ के बारे में इस पर बशीर बद्र साहब कि ये चंद पंक्तियाँ याद आती हैं
बेसन कि सोंधी रोटी पर
खट्टी चटनी जैसी माँ
याद आता है चौका बासन
चिमटा फुकनी जैसी माँ
बहुत अच्छा.
Badi hi umda rachana hai..Antant sunder bhav.
badhai..
-Vij
बहुत सुन्दर चित्रण है एक मॉ के मनोभावोँ का। बधाई!
Bhool Sudhar : Maine jo panktiyan quote keen thin wo Nida Fazli ki likhi hain ghalti se main badra sahab ka naam likh gaya!
Ratna ji iss kavita ne to aankhon mein ansoo lakar thehara diya....maan ki khushi, mohabbat inn sab ko koi samajh paaya hai to woh Maan khud hee hai :)
bahut hee dil ko choon jaane wali kavita hai bozhal sa hogaya aaj mann..
daad hee daad kabool farmayein
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