Wednesday, July 19, 2006

ब्लागस्पाट पर बैन छीन ले गया चैन

सावन का पहला सोमवार था । हम सुबह-सुबह शंकर जी के ध्यान में व्यस्त थे,आखिर उन्हीं की कृपा से हमारी रसोई ने हज़ार का स्कोर पूरा कर, दो सैन्चुरियां बना तीसरी केलिए लार टपकाई थी। आगे भी दिन दूनी रात चौगनी प्रगति की कामना से हम भगवन् को उनकी पसंद का प्रसाद पहुंचाने और मक्खन लगाने में जुटे थे कि कोई नासपीटा,बुरी नज़र वाला,अक्ल का दुश्मन जलकुकड़ा हमारी रसोई पर, बिना कोई नोटिस दिए ,एक बड़ा सा ताला डाल गया । मन में तो आया कि करमजले को बेलन से बेल कर तन्दूर में उतार दें पर बेलन व तन्दूर रसोई में सील-बंद और दुखदाई,मासूमों की बलि चढ़ा, आतंक फैलाकर एक आतंकवादी की तरह फुर्र । इसलिए उस दिन की सारी तपस्या पर ध्यान केन्द्रित कर श्राप दे डाला " जा दुष्ट, तेरी अक्ल का ताला तेरे भाग्य पर जा लगे ताकि तुझे दूसरो के कष्ट का अन्दाज़ा हो । पद का मद तुझे ले डूबे ।"
उसे श्राप देकर,ठण्डा पानी पीकर जब कुछ शान्त हुए तो सोचा" उसका जो होगा, सो होगा पर तेरा क्या होगा रत्ना । तेरी तो रसोई बंद, अब पिछवाड़े के चोर-दरवाज़े से एन्टरी कर भी ले पर बिजनैस तौ गिऔ । ऊपर से यह डर कि पता नहीं कब सूंघता हुया आ धमके और घर से उद्योग चलाने के लिए चलान कर दे। बेहतर यही है कि जमीन खरीद एक रेस्ट्रोरेन्ट खोल दें पर जेब (अक्ल) टटोली तो पाया कि इतनी रेज़गारी (जानकारी) पास में नही है पर फिर भी कुल जमा-पूंजी जोड़ और कुछ इधर उधर से उधार लेकर अपना ढाबा वर्ड-प्रेस पर खोलने का मन बना लिया। एक बोर्ड "रत्ना का ढाबा" वहाँ लगा कर कुछ सामान भी रख आए पर ससुरा कोई दाँव- पेंच ऐसा फंसा कि ढाबा चल न पाया। सर्वज्ञ जी से कई बार सलाह-मशवरा किया पर मामला वहीं का वहीं । अब हार कर पिछवाड़े के दरवाज़े पर स्वागतम् लिख कुछ स्कीम चला रहें है।
सुस्वागतम्
(1)-----------आप आएं, दोस्तों को लाएं और नानवेज में मटनपुलाव, चिकन बिरयानी रौग़नजोश,शामीकबाब,फिश-फिंगर्रज वगैहरा व वेज में काश्मीरी दमआलू खोया मटर,शाही पनीर,
मलाई कोफ्ता आदि का लुत्फ उठाएं । अचार चटनी पापड़ और एक बड़िया बनारसी पान फ्री में।
(2) विशेष----- पहले सौ कदरदानों को उपहार में एक आशीर्वाद
(3) नोट------- अच्छा टिप देनें वालों केलिए भविष्य में लकी ड्रा से इनाम देने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
*************** आज हम देवें उधार कल करगें व्यापार****************
ध्यान दें--- ढाबा चलवाने मे मदद की आवश्कता है

2 comments:

उन्मुक्त said...

मैं वर्ड प्रेस पर छूट-पुट (http://unmukts.wordpress.com/) के नाम से एक चिट्ठा लिखता हूं। इसमे भी वही मुश्कलें आयीं जो आप को अपने वर्ड प्रेस पर आ रहीं हैं। इसके बारे में मैने दो पोस्ट Error 404 (http://unmukts.wordpress.com/2006/06/02/error-404/) और वर्ड प्रेस पर हिन्दी चिट्ठे की एक और मुश्किल और उसका हल (http://unmukts.wordpress.com/2006/07/10/blog-problem-2/) लिखा है। आप इन्हे देखें आप की मुश्किल दूर हो जानि चाहिये।
क्या इस टिप्पणी पर लकी-ड्रौ पर भाग लेने को मिलेगा?

उन्मुक्त said...

मैं वर्ड प्रेस पर छूट-पुट (http://unmukts.wordpress.com/) के नाम से एक चिट्ठा लिखता हूं। इसमे भी वही मुश्कलें आयीं जो आप को अपने वर्ड प्रेस पर आ रहीं हैं। इसके बारे में मैने दो पोस्ट Error 404 (http://unmukts.wordpress.com/2006/06/02/error-404/) और वर्ड प्रेस पर हिन्दी चिट्ठे की एक और मुश्किल और उसका हल (http://unmukts.wordpress.com/2006/07/10/blog-problem-2/) लिखा है। आप इन्हे देखें आप की मुश्किल दूर हो जानि चाहिये।
क्या इस टिप्पणी पर लकी-ड्रौ पर भाग लेने को मिलेगा?