चन्दा के उजले चेहरे पर
घोर घटा घिर आई
गोरी के गोरे गालों पर
काली लट लहराई
लम्पट लट की इस हरकत से
गोरी तनिक तमक गई
मेघों के छूने से नभ में
चंचल चपला चमक गई
बांवरी बदरी लगी डोलने
सखी वात के साथ
अमृत अपने अंग छुपाए
पहुँची गिरीवर के पास
मधुर मिलन का संदेशा
वर्षा धरती पर लाई
घबराती शरमाती गोरी
पिया के अंक समाई
पावन प्रेम की पावस पाकर
हरित हुई हर क्यारी
गोरी के भी आँगन की
महक उठी फुलवारी
सुदूर सृष्टि में सृजित हुया
स्नेह संगम संगीत
अवनि पर अंकुरित हुई
नई संतति की रीत ।।
Friday, July 21, 2006
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2 comments:
बहुत खूब!
सुदूर सृष्टि में सृजित हुआ
स्नेह संगम संगीत
अवनि पर अंकुरित हुई
नई संतति की रीत ।।
क्या बात है !
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